राजसमं द/ देश में पहली सी प्लेन सर्विस गुजरात में एक नवंबर से शुरू होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी शुरुआत 31 अक्टूबर को करने जा रहे हैं। किन्तु कम लोग ही जानते हैं कि ब्रिटिश काल में राजस्थान के मौजूदा उदयपुर संभाग की राजसमंद झील में भी सी प्लेन उतरा करते थे। देश की आजादी से पहले द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ईंधन की आपूर्ति यहीं से होती थी। इसके अलावा कराची से ढाका तक सीप्लेन सेवा राजसमंद होकर जाती थी। उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले की ऐतिहासिक राजसमंद झील में जब ब्रिटिश सीप्लेन उतरा करते थे, तब यहां एक बड़ा बंदरगाह भी बनाया गया था। इस झील में प्लेन को रोकने के लिए लंगर डाले जाते थे। जो आज भी झील पेटे में मौजूद हैं।
साल 2004-05 में झील पूरी तरह सूख गई, तब उसमें से लंगर और लोहे की भारी भरकम जंजीरें नजर आई थीं। बुजुर्ग बताते हैं कि ब्रिटिश काल में डाक लाने-ले जाने के लिए सी-प्लेन उतारने के लिए राजसमंद झील का इस्तेमाल होता था। भीम तथा आसपास क्षेत्र से सैनिक ले जाने के लिए भी सीप्लेन के इस्तेमाल की बात इतिहास की पुस्तकों में मिलती है।
गौरतलब है कि राजसमंद झील का निर्माण 17वीं सदी में महाराणा राज सिंह ने कराया था। इस झील को 1937 ईस्वी में 'मेरीनड्रोम' की तरह विकसित किया गया। चारों दिशाओं में मजबूत लौह श्रृंखलाओं का प्रयोग करके जेटी बनाई गई। जिन पर विमानों को उतारा जाता था। बताया गया कि राजसमंद झील किनारे वर्मा सेल कंपनी का पेट्रोल पंच स्थापित किया गया था और यहीं से प्लेन में ईंधन भरा जाता था।
पंडित नेहरू भी सी प्लेन से आ चुके राजसमंद
राजसमंद झील में सीप्लेन के जरिए देश के पंडित जवाहरलाल नेहरू भी आ चुके हैं। बताते हैं कि साल 1945 में उदयपुर में देशी लोक राज्य परिषद का अधिवेशन आयोजित हुआ था और उसी में हिस्सा लेने पंंडित नेहरू सी प्लेन के जरिए यहां आए थे। यहां उन्होंने बच्चों से मुलाकात कर अमरूद भी बांटे थे।
यहां भी सीप्लेन सेवा शुरू होने की उम्मीद
अहमदाबाद में सी प्लेन सेवा शुरू होने के बाद उदयपुर की झीलों में भी सीप्लेन उतारने और उड़ान भरने की संभावना बढ़ेगी। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी उदयपुर आए थे, तब उन्होंने इसकी संभावना जताई थी। उन्होंने कहा कि एक फुट गहराई वाले पानी में सीप्लेन में उतर सकता है। उदयपुर में फतहसागर, पीछोला, उदयसागर, बड़ी तालाब के अलावा जयसमंद और राजसमंद झील ऐसी हैं, जहां साल भर पानी रहता है और सीप्लेन आसानी से उतर सकते हैं। इनमें खास बात यह है कि ये सभी जगह पहले से ही टूरिस्ट प्वाइंट हैं जहां हर दिन सैकड़ों पर्यटक उमड़ते हैं।